तुम्हारा यूं मिलना कोई इत्तेफाक ना था, माना कि तेरी नजर में शायद कुछ भी नहीं हूं मैं, तो दर्द को छुपा कर हँसने की कोशिश करता हूँ। “रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं…” चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली https://youtu.be/Lug0ffByUck