श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि। भावार्थ – हे पवनकुमार! मैं अपने को शरीर और बुद्धि से हीन जानकर आपका स्मरण (ध्यान) कर रहा हूँ। आप मुझे बल, बुद्धि और विद्या प्रदान करके मेरे समस्त कष्टों और दोषों को दूर करने की कृपा कीजिये। जय कपीस तिहुँ लोक https://nielsonw730cdc7.tokka-blog.com/profile